Foreigners to India and their contribution: Ancient India

Foreigners to India and their contribution: Ancient India

भारत आने वाले विदेशी यात्री व उनका योगदान: प्राचीन भारत

इतिहास का पिता हेरोडोटस जो कि यूनानी था, को कहा जाता है। हिस्टोरिका में पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व के भारत तथा फारस के संबंध का वर्णन किया गया है। जो कि अफवाह पर आधारित है।

यूनानी यात्री मेगास्थनीज, सेल्यूकस के राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया, इंडिका की रचना की

यूनानी यात्री टॉलमी ने दूसरी सदी में ज्योग्राफी या भारत के भूगोल की रचना की, जो भारतीय भूगोल तथा वाणिज्य की जानकारी देता है।

यूनानी यात्री स्ट्रेबो के अनुसार मेगास्थनीज का विवरण काल्पनिक है।

रोमन लेखक प्लिनी की पुस्तक नेचुरल हिस्टोरिका  में भारत और इटली के व्यापारिक संबंधों का विवरण है।

चीनी यात्री फहयान चंद्रगुप्त द्वितीय के समय, पांचवी सदी में भारत आया। उसने फूको की की रचना की, जिसमे गुप्त काल की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्थिति का विवरण दिया गया है।

चीनी यात्री संयुगन ने 518 ईस्वी में भारत आकर तीन वर्षों तक यात्रा किया और बौद्ध धर्म की प्राप्तियां एकत्र की।

यूनानी यात्री व्हेनसांग भारत में 629 में यशवर्धन के समय में आया था। व्हेनसांग ने सी-यू-की की रचना की। इसमें हर्ष काल के धर्म, राजनीति और समाज का विवरण है।
सबसे पहले यह भारत में कपिशा पहुंचा। यह भारत में 15 वर्षों तक रहा। इसने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, तब वहां के कुलपति आचार्य शीलभद्र थे।
व्हेनसांग की पुस्तक सी यू की में 138 देशों का विवरण मिलता है। व्हेनसांग के मित्र व्ही-ली ने व्हेनसांग की जीवनी लिखी थी।

यूनानी यात्री इतसिंग सातवीं सदी में भारत आकर नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन किया।

अज्ञात यूनानी लेखक ने पहली सदी(80 ईस्वी) में भारत के बंदरगाहों, प्राकृत स्थिति और व्यापार का विवरण अपनी पुस्तक  पेरीप्लस ऑफ द आरिथ्रियन सी या लाल सागर का विवरण में दिया है।

अरबी लेखक सुलेमान 9वीं सदी में भारत आया और पाल एवम प्रतिहार शासकों के बारे में लिखा।

अरबी लेखक अलबरूनी जो महमूद गजनवी के समकालीन था, ने तहकीक ए हिंद या किताब उल हिंद (भारत की खोज) की रचना की। इसमें राजपूत कालीन समाज, धर्म, रीति-रिवाज राजनीति का विवरण है।

तिब्बती बौद्ध लेखक तारानाथ ने 12वीं सदी में कंग्यूर तथा तंग्यूर लिखी, जो तब के भारत की जानकारी प्राप्त होती है।

मार्कोपोलो तेरहवीं सदी में भारत में पांड्य देश की यात्रा पर आया था और इसने पांड्य इतिहास के बारे में लिखा है।

सिकंदर के साथ आए लेखकों निर्याकस, आनेसिक्रटस और आस्टोबुलस के विवरण प्रमाणिक हैं।

डाईमेकस जो सीरियन नरेश आंतियोकस का राजदूत था और यह अशोक के दरबार में भारत आया था।

डायोनिसियस मिश्र नरेश टॉलमी फिलाडेल्फस का राजदूत था जो अशोक के राज दरबार में आया था।


Foreigners to India and their contribution: Ancient India

Herodotus, who was a Greek, is called the father of history. The relation between India and Persia has been described in the Historica of the fifth century BC. Which is based on rumours.

The Greek traveler Megasthenes, who came to the court of Chandragupta Maurya as the ambassador of Seleucus, composed the Indica.

The Greek traveler Ptolemy composed Geography or Geography of India in the second century, which gives information about Indian geography and commerce.

According to the Greek traveler Strabo, the description of Megasthenes is fictitious.

The Roman author Pliny’s book Natural Historica details the trade relations between India and Italy.

The Chinese traveler Fahyan came to India in the fifth century, during Chandragupta II. He wrote Phu-Ko-Ki, which details the social, economic and religious condition of the Gupta period.

The Chinese traveler Sanyugan came to India in 518 AD and traveled for three years and collected the receipts of Buddhism.

The Greek traveler Waensang came to India in 629 during the time of Yashavardhana. Waensang composed Si-Yu-Ki. It contains details of the religion, politics and society of Harsha period.
First it reached Kapisha in India. It stayed in India for 15 years. He studied at Nalanda University, then the Vice-Chancellor was Acharya Shilabhadra.
The description of 138 countries is found in Whensang’s book Si Yu Ki. Waensang’s friend Wei Lee wrote a biography of Waensang.

The Greek traveler Itsing came to India in the seventh century and described Nalanda and Vikramshila University.

An unknown Greek author has given details of India’s ports, Prakrit position and trade in the first century AD (80 AD) in his book Periplus of the Erythraean Sea or Description of the Red Sea.

The Arabic writer Suleiman came to India in the 9th century and wrote about the Pala and Pratihara rulers.

The Arabic writer Alberuni who was a contemporary of Mahmud Ghaznavi wrote Tahqeeq-e-Hind or Kitab-ul-Hind (Discovery of India). It has details of Rajput era society, religion, customs and politics. It describes the condition of the people of India.

The Tibetan Buddhist writer Taranatha wrote the Kangyur and the Tangyur in the 12th century, which describes India of that era.

Marcopolo came to India in the thirteenth century on a visit to the Pandya country and has written about Pandya history.

The descriptions of the writers Nyakas, Anesikratus and Astobulus who accompanied Alexander are authentic.

Dimachus, who was the ambassador of the Syrian king Antiochus, came to India in the court of Ashoka.

Dionysius was the ambassador of the Egyptian king Ptolemy Philadelphus who came to the court of Ashoka.


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