सौरमण्डल
बुध
बुध सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह एवं सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह है।
यह 88 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूर्ण कर लेता है। इसपर वायुमंडल का अभाव होता है; इसलिए जीवन संभव नहीं है।
इस ग्रह पर तापान्तर सभी ग्रहों में सबसे अधिक (560º) है; यहाँ दिन अति गर्म और रातें बर्फीली होती हैं।
इसका कोई प्राकृतिक उपग्रह नहीं है। शुक्र शुक्र सूर्य के निकटवर्ती दूसरा ग्रह एवं पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रह है।
यह 225 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूर्ण कर लेता है। अन्य ग्रहों के विपरीत यह सूर्य की परिक्रमा पूर्व से पश्चिम दिशा में करता है।
चूँकि यह सुबह पूर्व दिशा में एवं शाम को पश्चिम दिशा में दिखाई देता है, इसलिए इसे भोर का तारा या सांझ का तारा भी कहते हैं।
आकार एवं द्रव्यमान में पृथ्वी के लगभग समान होने के कारण इसे ‘पृथ्वी की बहन’ कहा जाता है।
इसका कोई प्राकृतिक उपग्रह नहीं है।
पृथ्वी
पृथ्वी सूर्य से दूरी क्रम में तीसरा ग्रह और सौर मंडल का पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है।
यह शुक्र एवं मंगल ग्रह के बीच स्थित है। यह सूर्य की एक परिक्रमा को पूरा करने के लिए 365 दिन 5 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड का समय लेता है। यह अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व घूमता है और अपनी धुरी/अक्ष पर 23 1/2 º झुका हुआ है। पृथ्वी की सतह पर इष्टतम (अनुकूल) तापमान की उपस्थिति और ऑक्सीजन और पानी की पर्याप्त मात्रा की उपस्थिति के कारण ही केवल इसी ग्रह पर जीवन मौजूद है।
अन्तरिक्ष से देखे जाने पर जल की अधिकता के कारण नीला दिखाई देता है; अतः इसे नीला ग्रह भी कहते हैं। चंद्रमा इस ग्रह का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है।
मंगल
मंगल की सतह लाल होने के कारण इसे लाल ग्रह भी कहते है।
यह सूर्य की एक परिक्रमा को पूरा करने के लिए 686. 98 दिन का समय लेता है। इस की घूर्णन गति 24 घंटे 37 मिनट 23 सेकंड है।
इस ग्रह के दो प्राकृतिक उपग्रह फोबोस और डीमोस है।
इस ग्रह का सबसे ऊँचा बिंदु निक्स ओलम्पिया है।
मार्स ऑर्बिटल मिशन (ऍमओऍम), इसरो द्वारा 5 नवम्बर 2013 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था। इसे मंगलयान भी कहते है।
क्षुद्र ग्रह
क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के कक्षाओं के मध्य पाए जाते हैं।
ये खगोलीय पिंड हैं जो व्यास में कुछ मीटर से लेकर सैकड़ों किलोमीटर तक के आकार के होते हैं, जोकि सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इनकी उत्पति ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे हुए खण्डों से हुई है।
हाल ही में जापान के ‘हायाबूसा’ अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक ‘ईटोकोवा’ नामक क्षुद्रग्रह की मिट्टी के नमूने को पृथ्वी तक सफलतापूर्वक भेजा है, जो वैज्ञानिकों के किसी भी क्षुद्रग्रह से मिट्टी लाने के दिशा में पहला सफल प्रयास है। लड़कियों की शिक्षा के लिए आन्दोलनकारी, सबसे कम उम्र के नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के नाम पर ‘नासा’ ने क्षुद्रग्रह 316201 का नामकरण 316201-मलाला रखा है।
बृहस्पति
बृहस्पति सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसके अधिकतम संख्या में प्राकृतिक उपग्रह हैं जोकि संख्या में 67 हैं।
गैन्नीमेड इस ग्रह के साथ ही साथ सौर मंडल का भी सबसे बड़ा उपग्रह है।
इस ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की अपेक्षा एक करोड़ गुना अधिक है। अपनी स्वयं की रेडियो ऊर्जा की उपस्थिति के कारण, इसमें ग्रह और एक तारे दोनों के गुण होते हैं। ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ की उपस्थिति इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है, जिसको ग्रह के वातावरण में एक जटिल तूफान माना जाता है। इस ग्रह को ‘लघु सौर मंडल’ के रूप में भी जाना जाता है।
शनि
शनि सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह बृहस्पति और यूरेनस के बीच स्थित है और यह सूर्य की परिक्रमा 29. 5 वर्ष में पूरा करता है।
इसके 62 प्राकृतिक उपग्रह हैं जिनमें से टाइटन’ शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है। ‘टाइटन’ मंगल ग्रह की तरह रंग में नारंगी दिखाई देता है, और इसका स्वयं का वातावरण और गुरुत्वाकर्षण बल है।
ग्रह के मध्यरेखा के चारों ओर सात पूर्णतः विकसित छल्ले की मौजूदगी इसकी सबसे बड़ी और रहस्यमय विशेषता है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण, वे ग्रह के चारों ओर सामूहिक रूप से परिक्रमा करते हैं।
इसे गैसों का गोला एवं गैलेक्सी समान ग्रह भी कहा जाता है।
फ़ोबे उपग्रह शनि की कक्षा में घूमने के विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है। यह सौर मंडल का अंतिम ग्रह है जिसे खुली आंखों से देखा जा सकता है।
अरुण
अरुण सूर्य से सातवां ग्रह और सौर मंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। 1781 में सर विलियम हर्शेल ने इसकी खोज की थी।
यह शनि और वरुण के बीच स्थित है एवं 84 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है। उच्च अक्षीय झुकाव के कारण इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है
यह सूर्य की परिक्रमा पूर्व से पश्चिम की ओर करता है (शुक्र के जैसे) । वातावरण में मिथेन की उपस्थिति के कारण, यह नीला-हरा रंग का दिखाई देता है। इसके ध्रुवीय क्षेत्रों में सर्वाधिक सौर ताप और प्रकाश की प्राप्ति होती है।
वरुण
यह ग्रह सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर स्थित ग्रह है। इसकी खोज 1846 में जर्मन खगोल विज्ञानी जॉन गैले द्वारा की गयी थी।
यह 165 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा पूर्ण करता है। इसके 13 प्राकृतिक उपग्रह हैं जिनमें से ट्रिटोन और मेरीड प्रमुख हैं।
प्लूटो
प्लूटो को 1930 में सी. टोम्बैग द्वारा खोजा गया था और इसे हमारे सौर मंडल का नौवां और सबसे छोटा ग्रह माना गया।
वैज्ञानिकों ने आईएयू शिखर सम्मेलन 2006 में ग्रहों की एक नई परिभाषा दी। 24 अगस्त 2006 को आईएयू ने प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से हटा दिया और इसे बौना ग्रहों या प्लूटन की श्रेणी में रख दिया।
प्लूटो को इस नई परिभाषा के अनुसार ग्रह से बाहर हो गया। प्लूटो की कक्षा नेप्च्यून की कक्षा को ओवरलैप करती है जो कि ग्रहों की नई परिभाषा के विपरीत था और इसीलिए इसे बौना ग्रहों की श्रेणी में रखा गया।
धूमकेतु
धूमकेतु धूल, बर्फ और गैसों से बने पिंड हैं। ये लंबी और अनियमित कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। ये सूरज से दूर, ठंढे और अंधेरे क्षेत्रों से आते हैं। ये जब सूरज के बहुत करीब से गुजरते हैं, तो ये एक लंबी चमकीली पूंछ के साथ चमकते हैं।
हैली धूमकेतु पृथ्वी से दिखाई देने वाली धूमकेतु हैं, जिसे एडमंड हैली ने खोजा था। हैली धूमकेतु हर 76 साल बाद पृथ्वी से देखा जाता है। आखिरी बार इसे 1986 में देखा गया था।
उल्काश्म
उल्काश्म धूल एवं गैस से निर्मित आकाशीय पिंड हैं। ये पिंड जब वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो गुरुत्वाकर्षण के कारण तेजी से पृथ्वी की ओर आते हैं एवं वायुमंडलीय घर्षण से चमकने लगते हैं। इन्हें ‘टूटता हुआ तारा’ कहा जाता है।
लेकिन वायुमंडलीय कणों के घर्षण के कारण ये पृथ्वी पर पहुँचने से पूर्व ही जलकर रख हो जाते हैं। वैसे उल्काश्म जोकि आकार में बड़े होते हैं एवं पूर्णतः नहीं जलते हैं तथा चट्टानों के रूप में पृथ्वी तक पहुँचते हैं, उल्कापिंड कहलाते हैं।
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