Constitution Chapter-5 | नागरिकता Citizenship

Constitution Chapter-5 | नागरिकता Citizenship

नागरिकता Citizenship

नागरिक कौन है?

  • नागरिक किसी समुदाय अथवा राज्य में निवास करने वाला वह व्यक्ति होता है, जिसे उस समुदाय अथवा राज्य की पूर्ण सदस्यता प्राप्त होती है।
  • नागरिक विदेशियो से भिन्न है, क्योंकि विदेशियो को वे सभी अधिकार प्राप्त नही होते, जो किसी राज्य की पूर्ण सदस्यता के लिए अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जो भारत के राज्य क्षेत्र में रहा है, तथा
  1. जो भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा था या,
  2. उसके माता-पिता में से कोई भारत के राज्य में जन्मा था, जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम 5 वर्ष तक भारत के राज्य क्षेत्र में मामूली तौर पर निवासी रहा है, भारत का नागरिक होगा।

भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955

  • भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में उपबंध है, कि 26 जनवरी 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति, कतिपय अपेक्षाओं के अधीन रहते हुए पूरे भारत का नागरिक होगा, यदि उसके जन्म के समय उसका पिता भारत का नागरिक था।
  • पहला नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986, जिसमे पुरुष तथा भारतीय महिला की संतान भारतीय होगी। 1991 के संशोधन द्वारा भारतीय विवाहित पुरुष की संतान भी भारतीय होगी।
भाग नागरिकता
अनुच्छेद 5संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
अनुच्छेद 6पाकिस्तान से भारत को प्रवचन करने वाले कुछ व्यक्तियो के नागरिकता के अधिकार
अनुच्छेद 7पाकिस्तान को प्रवचन करने वाले कुछ व्यक्तियो के नागरिकता के अधिकार
अनुच्छेद 8भारत से बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियो के नागरिकता के अधिकार
अनुच्छेद 9विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियो का नागरिक न रह जाना।
अनुछेद 10नागरिकता के अधिकारोँ का बना रहना
अनुच्छेद 11संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना
  • अनुच्छेद 6 में संविधान के प्रारंभ से पहले पाकिस्तान से प्रवास करने वाले व्यक्तियो की नागरिकता के अधिकारो का उपबंध किया गया है।
  • अनुच्छेद 8 में कोई व्यक्ति या उसके माता पिता में से कोई पितामह या पितामही, मातामह या मातामही में से कोई भारत शासन अधिनियम 1935 में यथा परिभाषित भारत में जन्मा था, और जो भारत के बाहर किसी देश में निवास कर रहा है। उसे भारत का नागरिक समझा जाएगा।
  • यदि किसी व्यक्ति ने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली हो तो भारत की उसकी नागरिकता का उसका अधिकार खत्म हो जाएगा।
  • राष्ट्रहित में भारत सरकार किसी व्यक्ति को दो नागरिकताएं स्वीकार करने की अनुमति दे सकती है, जैसे सांस्कृतिक राजदूत के आधार पर अमिताभ बच्चन, सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय को दोहरी नागरिकता का अधिकार दिया गया है।

दोहरी नागरिकता के अपवाद

  • राजनीतिक शरण, जैसे दलाई लामा को भारत ने शरण दे रखी है।
  • विदेश का राजाध्यक्ष या नेतृत्वकर्ता किसी उपद्रव के बाद किसी अन्य देश में शरण लेता है, तो उनका प्रत्यर्पण नही किया जा सकता और साथ ही साथ उसे देश की नागरिकता प्रदान की जाती है।
  • विदेशो के राजाध्यक्ष या शासनाध्यक्ष जब भी भारत आते है तो उन्हें सम्मान के लिए भारत की नागरिकता से विभूषित किया जाता है।
  • किसी भी प्रकार की नागरिकता का विधान संसदीय विधि के अलावा और तरीको से नही छीना जा सकता है (अनुच्छेद 10)
  • संसद को भारत की नागरिकता अर्जन या निरसन की निर्बाध शक्तियाँ हैं।

नागरिक और गैरनागरिक में अंतर

  • नागरिक समाज समस्त मौलिक अधिकार प्राप्त होते और गैर-नागरिक को समस्त अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं, जैसे गैर-नागरिक के पास अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30 तथा 326 के अनुसार मताधिकार नही है।
  • नागरिको को राष्ट्र की और से विशेष दायित्व सोंपे जा सकते हैं, पर गैर-नागरिको को नही।

नागरिकता कानून में संशोधन : 1992

1992 ई. में संसद ने सर्वसम्मति से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित किया। जिसके अंतर्गत यह व्यवस्था दी गई की भारत से बाहर पैदा होने वाले बच्चे को यदि उनकी मां भारत की नागरिकता है, भारत को नागरिकता प्राप्त होगी। इससे पूर्व उसी दशा में किसी बच्चे को भारत की नागरिकता प्राप्त होती थी यदि उसका पिता भारत का नागरिक हो। इस प्रकार अब नागरिकता के प्रसंग में बच्चे का माता को पिता के समकक्ष स्थिति प्रदान कर दी गई।

नागरिकता की समाप्ति

  • दूसरी नागरिकता स्वीकार करने या अज्ञातवास के द्वारा यदि कोई भारतीय लगातार 70 वर्ष तक अज्ञात रहा है तो उसे मृत मान लिया जाता है, और बाद में यह प्रकट हो जाए तो उसे सिद्ध करना पडता है।
  • इसी काम में जो भी पेंशनधारी होती हैं उन्हें जीवित होने का लिखित स्व-प्रमाण देना पडता है।
  • जो अपराधी विदेश में भाग जाते है, तो भारत सरकार उसे नोटिस देती है, जो प्रत्यर्पण संधि के अनुरुप होगा।

दोहरी नागरिकता

  • अनुच्छेद 11 के तहत भारतीय संसद को नागरिकता से संबंध विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है।
  • तदनुसार, संसद में 1955 में नागरिकता अधिनियम लागू किया।
  • अनुच्छेद 9 के कथानुसार, नागरिकता का अर्थ पूर्ण नागरिकता है। संविधान में बँटी हुई निष्ठा को स्वीकृति नहीं देता।
  • भारतीय न्यायालयों ने नियमित रुप से दोहरी नागरिकता को अस्वीकार किया है।
  • नागरिकता अधिनियम की धारा 10 के अनुसार, कोई व्यक्ति भारतीय संविधान के साथ साथ अन्य देश के संविधान के प्रति निष्ठावान नहीं हो सकता।
प्रवासी भारतीयों को मत देने का हक़ देने का विचार विदेश में रह रहे भारतीय (एन.आर.आई) को दोहरी नागरिकता के उपहार के बाद सरकार द्वारा उन्हें मतदान का अधिकार देने का भी निर्णय लिया गया है, जिसके लिए जन-प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन किया जाएगा।
  • यदि कोई भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारतीय नागरिक स्वतः खो देता है। उदाहरणार्थ, कोई शिशु जिसके माता-पिता भारतीय नागरिक है, किसी दूसरे देश में जन्म लेता है और व्यस्क होने पर उस देश की नागरिकता का परित्याग नहीं करता, तो वह भारत की नागरिकता को देता है।
  • दोहरी नागरिकता के निषेध का कारण यह है कि नागरिकता से कुछ कर्तव्य अपेक्षित है, यथा- आवश्यकता पड़ने पर भारतीय सेना मे सेवा प्रदान करना।

विदेशियों को अप्राप्त अधिकार

  1. धर्म, मूलवंश, जाति, जन्मस्थान या इनमे से किसी आधर पर विभ्र्द न किये जाने का अधिकार (अनुच्छेद 15)।
  2. लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता का अधिकार (अनुच्छेद 16)।
  3.  अनुच्छेद 19 के तहत, 6 आधारभूत स्वतंत्रताओं का अधिकार।
  4. मतदान का अधिकार।
  5. अनुच्छेद 29 व 30 में प्रदत्त सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार।
  6. कतिपय पदों (यथा-राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यो के राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, भारत का महान्यायवादी, नियंत्रक व महालेखा परीक्षक इत्यादि) पर आसीन होने का अधिकार।
  7. केंद्र में किसी भी सदन अथवा राज्य स्तर पर चुनाव लड़ने तथा चुने जाने का अधिकार द्वारा विनियमन किया जाना।

भारतीय नागरिकता अधिनियम 2005

  • भारतीय मूल के लोगों को दोहरी नागरिकता देने संबंधी भारतीय नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2005, नागरिकता अधिनियम, 1955 को संशोधित करता है जिसके अंतर्गत नागरिकता अधिनियम, 1955 की चौथी अनुसूची को निकाल दिया गया है।
  • इसके अंतर्गत पाकिस्तान एवं बांग्लादेश को छोड़कर अन्य देशो में 26 जनवरी, 1950 के बाद जाकर बसे भारतीय मूल के सभी नागरिक भारत की विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के योग्य हैं।
  • किसी अपराध में लिप्त या संदिग्ध आचारण वाले प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता नहीं मिल सकेगी।
  • दोहरी नागरिकता के आधार पर प्रवासी मतदान में भाग नहीं ले सकते है, लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा, विधान परिषद के चुनाव में भाग नहीं ले सकते है और न ही किसी संवैधानिक पद, जैसे – राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के यायाधीश के पद पर नियुक्त हो सकते हैं।


Comments are closed.