Current Events : 6 Jan 2019
Topic : Panj Tirath Hindu religious site declared as national heritage
संदर्भ
उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने पेशावर में स्थित प्राचीन हिन्दू धर्म-स्थल पंज तीरथ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है.
सरकार ने यह भी घोषणा की कि कोई जो कोई इस ऐतिहासिक स्थल को क्षति पहुँचाने का दोषी पाया जाएगा, उसे पाँच वर्ष का कारावास तथा 20 लाख रू. का जुर्माने का दंड दिया जायेगा.
पंज तीरथ क्या है?
पंज तीरथ का यह नाम इसलिए पड़ा है कि यहाँ पर पाँच जलाशय हैं. इस स्थल में एक मन्दिर है और साथ ही खजूर के पेड़ों का एक उद्यान है.
- लोगों का विश्वास है कि महाभारत में वर्णित पौराणिक राजा पांडु इसी स्थान के रहने वाले थे.
- पहले यहाँ हिन्दू कार्तिक के महीने में आया करते थे और इन जलाशयों में नहाते थे. वे दो दिनों तक यहाँ के पेड़ों के नीचे पूजा-पाठ किया करते थे.
- अफ़ग़ानिस्तान के दुर्रानी वंश के शासन के समय 1747 ई. में इस स्थल को तोड़ दिया गया था. परन्तु बाद में सिख शासन की अवधि में 1834 ई. में स्थानीय हिन्दू ने इसका जीर्णोद्धार कराया था और फिर यहाँ पूजा होने लगी थी.
Topic : Appointment of Lokpal
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि सितम्बर, 2018 में आठ सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया गया है जिसका काम लोकपाल के लिए सुयोग्य उम्मीदवार का चयन करना होगा. जहाँ तक इस भ्रष्टाचार विरोधी संस्था के काम करने के नियमों का प्रश्न है, यह काम यह संस्था ही लोकपाल के नियुक्ति के बाद करेगी. लोकपाल की नियुक्ति के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई हैं.
पृष्ठभूमि
अप्रैल 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने लोकपाल की नियुक्ति करने का आदेश दिया था, परन्तु लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पा रही थी. इसलिए सर्वोच्च न्यायालय में एक अवमानना की याचिका दायर की गई थी. इसी याचिका के संदर्भ में सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को लोकपाल के चयन के लिए समिति बनाने की सूचना दी है.
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के मुख्य तत्त्व
- यह अधिनियम केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोक्यायुक्त के गठन का प्रावधान करता है जिसका मूल उद्देश्य भ्रष्टाचार का निवारण है.
- लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होंगे.
- लोकपाल भ्रष्टाचार के जिन मामलों को देखेगा उसके अन्दर सरकारी प्रधानमन्त्री समेत केंद्र सरकार के सभी सरकारी सेवकों से सम्बंधित होंगे. परन्तु सेना लोकपाल के दायरे में नहीं आयेंगे.
- अधिनियम के अनुसार लोकपाल को यह अधिकार है कि वह भ्रष्ट तरीकों से अर्जित सम्पत्ति को जब्त कर सकता है चाहे सम्बंधित मुकदमा अभी चल ही क्यों नहीं रहा हो.
- अधिनियम के अनुसार इस अधिनियम के प्रभावी होने के एक वर्ष के अन्दर सभी राज्यों को अपना-अपना लोकायुक्त गठित कर लेना होगा.
- लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में यह सुनिश्चित किया गया है कि जो सरकारी सेवक भ्रष्टाचार की किसी मामले के बारे में पहली सूचना देंगे, उनको सुरक्षा प्रदान की जायेगी.
लोकपाल की शक्तियाँ
- लोकपाल CBI समेत किसी भी छानबीन एजेंसी को कोई मामला जाँच के लिए भेज सकता है और उसका पर्यवेक्षण और निगरानी कर सकता है.
- यदि किसी सरकारी सेवक के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला बनता है तो लोकपाल छानबीन एजेंसी द्वारा पड़ताल आरम्भ होने के पहले भी उस सेवक को बुला सकता है और पूछताछ कर सकता है.
- यदि लोकपाल ने कोई मामला CBI को जाँच-पड़ताल के लिए दिया है तो उस CBI अधिकारी को बिना लोकपाल की अनुमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है.
- जाँच एजेंसी को जाँच का काम छह महीने में पूरा करना होगा. परन्तु लोकपाल सही और लिखित कारण होने पर छह महीने का विस्तार दे सकता है.
- लोकपाल के द्वारा भेजे गए मामलों पर सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बनाए जायेंगे.
Street Light National Programme (SLNP)
संदर्भ
बताया जा रहा है कि जनवरी 5, 2015 में आरम्भ होने के समय राष्ट्रीय सड़क प्रकाश कार्यक्रम (Street Lighting National Programme – SLNP) के लिए जो लक्ष्य निर्धारित हुए थे, उनको केंद्र सरकार संभवतः पूरा नहीं कर पाएगी. जनवरी 3, 2019 तक इस कार्यक्रम के तहत एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) कम्पनी ने देश के 28 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों में 76.77 लाख से अधिक LED सड़क बत्तियां अधिष्ठापित की हैं.
राष्ट्रीय सड़क प्रकाश कार्यक्रम क्या है?
- SLNP सरकार का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सड़कों पर लगाईं जाने वाली साढ़े तीन करोड़ पारम्परिक बत्तियों को हटा कर वहाँ पर कम बिजली खपत वाली LED बत्तियां लगाना है.
- यह लक्ष्य तय किया गया था कि मार्च 2019 तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत 34 करोड़ पुरानी बत्तियों को हटाकर LED बत्तियाँ लगा दी जाएँगी.
- यह परियोजना देश के 28 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों में लागू की गई है. इस परियोजना को लागू करने के लिए एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) नामक एक लोक ऊर्जा सेवा कम्पनी को चुना गया है जो भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के प्रशासनाधीन है.
- परियोजना की समाप्ति पर EESL सभी राज्यों में किये गये काम का सामाजिक अंकेक्षण भी कराएगी.
SLNP के उद्देश्य
- सड़कों पर कम बिजली खपत करने वाले LED बत्तियाँ लगा कर जलवायु परिवर्तन को धीमा करना.
- ऊर्जा खपत को घटाना जिससे DISCOM कम्पनियों को उस समय बिजली की आपूर्ति करने में सुविधा हो जब इसकी सबसे अधिक माँग होती है.
- LED बत्तियों की खरीद के भुगतान के लिए आर्थिक संसाधन के जुगाड़ की एक टिकाऊ व्यवस्था तैयार करना.
- सड़कों को प्रकाशित करने में नगरपालिकाओं पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ न हो ऐसी अवस्था करना.
EESL क्या है?
- एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) भारत सरकार के NTPC लिमिटेड, ऊर्जा वित्त निगम, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और पॉवर ग्रिड का एक संयुक्त उपक्रम है.
- इसकी स्थापना भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधीन ऐसी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिए किया गया था जिनसे ऊर्जा की खपत कम-से-कम हो.
Topic : Indian Science Congress
संदर्भ
पंजाब राज्य के जालंधर शहर में 3 से 7 जनवरी, 2019 तक विश्व के सबसे विशाल वैज्ञानिक सम्मेलन – इंडियन साइंस कांग्रेस (ISC) – 2019 (106वाँ सत्र) आयोजित किया जा रहा है. इस सम्मेलन की थीम है – Future India: Science and Technology अर्थात् भविष्य का भारत : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी.
पृष्ठभूमि
इंडियन साइंस कांग्रेस का सत्र भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ के द्वारा प्रत्येक वर्ष जनवरी के पहले सप्ताह में आयोजित होता रहा है.
इंडियन साइंस कांग्रेस संघ क्या है?
- इंडियन साइंस कांग्रेस संघ का आरम्भ 1914 में कलकत्ता में हुआ था. इस संघ के 30,000 से अधिक वैज्ञानिक सदस्य हैं.
- इसकी स्थापना के पीछे ब्रिटेन के दो रसायनशास्त्रियों – प्रोफेसर जे.एल. साइमन्सन और प्रोफेसर पी.एस. मैकमोहन की दूरदृष्टि और पहल थी. इन दोनों वैज्ञानिकों को लगा था कि उनके देश के ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ साइंस की तर्ज पर भारत में भी शोधकर्ताओं की प्रत्येक वर्ष बैठक हो तो यहाँ वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा मिलेगा.
संघ के उद्देश्य
- भारत में विज्ञान को आगे बढ़ाना और प्रोत्साहित करना.
- भारत में एक उचित स्थान पर प्रत्येक वर्ष एक सम्मेलन आयोजित करना.
- कार्यवाहियाँ, पत्रिकाएँ और अन्य वांछनीय प्रकाशन सामग्रियाँ छपवाना.
- विज्ञान के प्रोत्साहन के लिए धन की व्यवस्था करना और इसके लिए संघ की सम्पत्तियों का आंशिक अथवा पूर्ण निपटारा करना.
- ऊपर लिखे गये उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जो कुछ उचित और आवश्यक हो वह कार्य सम्पादित करना
Topic : Climate Change Performance Index (CCPI) 2019
संदर्भ
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index – CCPI) के 2019 का संस्करण प्रकाशित कर दिया गया है.
CCPI क्या है?
- जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें 58 देशों की रैंकिंग की जाती है और ऐसा समझा जाता है कि इससे जलवायु से सम्बन्धित अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पारदर्शिता बढ़ेगी.
- इस सूचकांक का उद्देश्य उन देशों पर राजनैतिक और सामाजिक दबाव बनाना है जो जलवायु की रक्षा के लिए उपयुक्त कार्रवाइयाँ करने में अभी तक विफल रहे हैं.
- साथ ही यह सूचकांक जलवायु की नीतियों के सन्दर्भ में प्रचलित उत्कृष्ट प्रथाओं की ओर भी ध्यान खींचता है.
CCPI के मूल्यांकन की पद्धति
सूचकांक के निष्कर्ष
- वैश्विक तापवृद्धि को 2°C के नीचे अथवा 5°C पर सीमित रखने की दिशा में कुछ ही देशों ने काम करना शुरू किया है.
- पूरे विश्व में सर्वोच्च स्थान स्वीडन का है जिसके बाद क्रमशः मोरक्को और लिथुएनिया का नाम आता है.
- सूचकांक में जो पाँच देश सबसे नीचे हैं, वे हैं – सऊदी अरब, अमेरिका, दक्षिणी कोरिया और ताइवान.
- 2019 में भारत को 11वीं रैंकिंग मिली है जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन स्थान ऊपर है.
मानकीकृत पैमानों के आधार पर यह सूचकांक उन 58 देशों के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है और तुलना करता है, जो वैश्विक ऊर्जा से संबंधित CO2 उत्सर्जन के 90% से अधिक के लिए उत्तरदायी हैं. मूल्यांकन का 80% भाग उत्सर्जन की प्रवृत्ति और उत्सर्जन के स्तर से सम्बंधित वस्तुनिष्ठ संकेतकों पर आधारित है. सूचकांक का शेष 20% भाग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नीति के मूल्यांकन पर आधारित होता है. इस मूल्यांकन का काम संबंधित देशों के 200 से अधिक विशेषज्ञ करते हैं
- भारत सरकार की योजना मिशन इंद्रधनुष को विश्व-भर की 12 सर्वोत्कृष्ट योजनाओं में से एक चुना गया है तथा इसके बारे में ब्रिटेन की चिकित्सा पत्रिका में लेख छपा है.
इस योजना का अंतिम लक्ष्य दो वर्ष तक के सभी बच्चों और सभी गर्भवती महिलाओं को जितने भी उपलब्ध टीके हैं उन्हें लगाना और इस प्रकार सम्पूर्ण प्रतिरक्षण का लक्ष्य प्राप्त करना है.
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