यूथेनेशिया( Euthanasia ) अर्थात इच्छामृत्यु
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पैसिव यूथेनेशिया( Passive Euthanasia )‘ पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए लिविंग विल यानी इच्छा मृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत को मंजूरी मिली दे दी.
इस वक्तव्य के साथ कि मनुष्य को सम्मानपूर्वक जीने के साथ-साथ इसे समाप्त करने का अधिकार भी है
हालांकि कोर्ट ने इस संबंध में कुछ दिशा-निर्देश भी तय किए हैं, जिसका अर्थ यह है कि कोई भी यूं ही अपना जीवन समाप्त नहीं कर सकता।
यूथेनेशिया( Euthanasia ) क्या है?
जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी अथवा लाइलाज बीमारी की वजह से ऐसी परिस्थितियों में पहुंच जाता है, जहां उसका शरीर पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है और उस दर्द से निजात पाने के लिए वह यूथेनेशिया या इच्छामृत्यु की माँग कर सकता है।
इच्छामृत्यु को दो श्रेणियों में बांटा गया है.
->पैसिव यूथेनेशिया ( Passive Euthanasia )
->ऐक्टिव यूथेनेशिया (Active Euthanasia )
->पैसिव_यूथेनेशिया ( Passive Euthanasia): अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से ऐसी बीमारी से जूझ रहा है, जिसमें कि इलाज नहीं हो पा रहा है और वो अपनी जिंदगी से निजात पाना चाहता है तो उसके परिवार वालों की इजाजत पर उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अब ऐसा करने की इजाजत दे दी है।
->ऐक्टिव_यूथेनेशिया( Active Euthanasia ): जिसमें मरीज को जहर या फिर पेनकिलर का इंजेक्शन के जरिए ओवरडोज दे दिया जाता है और बाद में उसकी मौत हो जाती है..।।
->लिविंग_विल( Living Will): इस विल में शख्स पहले ही यह साफ कर देता है कि अगर भविष्य में उसे कोई गंभीर बीमारी हो या लाइलाज बीमारी हो जाती है तो उसे दवाओं पर जिंदा रखा जाए या नहीं।
->कब उठी थी बहस:
->अरुणा_शानबाग मुंबई के एक अस्पताल में नर्स थीं, 1973 में उनका यौन शोषण हुआ था जिसके वजह से अरुणा कोमा में चली गईं थीं, अरुणा की सहेली 36 सालों से उन्हें ऐसी ही हालत में देखकर बहुत परेशान थीं। इसपर उन्होंने मांग उठाई कि अरुणा को दिया जानेवाला खाना धीरे-धीरे बंद कर दिया जाना चाहिए, जिससे उन्हें इस तकलीफ से ‘मुक्ति’ मिल जाए। फिर, 2015 में अरुणा की मौत हो गई थी। उन्हें यूथेनेशिया की इजाजत नहीं मिली थी।
->यूथेनेशिया( Euthanasia ) लागू देश
कनाडा, कोलम्बिया, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, स्विट्जरलैंड जैसे देशों के साथ-साथ अमेरिका के ओरेगन और वाशिंगटन राज्यों में भी कानूनन वैध है।