बलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम
बैलिस्टिक मिसाइल हवा में एक अर्द्धचंद्राकार पथ (Ballistic Trajectory) का अनुसरण करती है और रॉकेट के साथ इसका संपर्क खत्म होने पर इसमें लगा हुआ बम गुरुत्व के प्रभाव से ज़मीन पर गिरता है। इसलिये एक बार प्रक्षेपित करने के बाद इसके लक्ष्य पर कोई नियंत्रण नहीं होता है।
बैलिस्टिक मिसाइल का उपयोग परमाणु, रासायनिक, जैविक या पारंपरिक हथियारों की बैलिस्टिक पथ पर डिलीवरी के लिये किया जाता है।
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम
इस पहल का उद्देश्य एक बहु-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली को विकसित और तैनात करना है। बीएमडी सिस्टम में दो इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं।
पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (पीडीवी) – यह वायुमंडल के बाहर (Exo-Atmospheric) अथवा पृथ्वी से 50-150 किलोमीटर की ऊँचाई के लिये इंटरसेप्टर मिसाइल है।
यह मौजूदा पृथ्वी वायु रक्षा (Pruthvi Air Defence-PAD) प्रणाली (प्रद्युम्न) का स्थान लेगी, जिसकी अधिकतम सीमा 80 किलोमीटर है।
एडवांस्ड एरिया डिफेंस – यह वायुमंडल के भीतर (Endo- Atmospheric) अथवा पृथ्वी से 20-40 किलोमीटर की ऊँचाई के लिये इंटरसेप्टर मिसाइल है। इसे ‘अश्विन’ नाम दिया गया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अनुसार, इस प्रणाली को 2022 तक पूर्ण रूप से तैनात कर दिया जाएगा।
बीएमडी प्रणाली के पहले चरण की 2,000 किलोमीटर की परास को दूसरे चरण में 5,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा।
भारत के अलावा ऐसी रक्षा प्रणाली अमेरिका, रूस, चीन और इज़राइल के पास भी है।
पृष्ठभूमि
1990 के दशक के उत्तरार्द्ध में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ- DRDO) ने दो स्तरीय बीएमडी सिस्टम विकसित करना शुरू किया था।
इंटरसेप्टर मिसाइल का पहली बार परीक्षण 2006 में किया गया था। हालाँकि, इसका एकीकृत मोड (एक्सो और एंडो साथ) में अभी तक परीक्षण नहीं किया गया है।
एक पूर्ण बहु-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली प्राप्त करने के प्रयासों के तहत पहले दो परीक्षण 1 मार्च और 11 फरवरी, 2017 को आयोजित किये गए थे।
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